आधी आबादी है नारी,आधी संसद मे आने दो
दुनिया के पुरुषों मत समझो
दुनिया के पुरुषों मत समझो
नारी हूं तो झुक जाउंगी
समझौते,त्याग के पन्ने पर,मेरी जीवन गाथा लिखी गयी
जौहर मेरा ही सदा हुआ
बन सती आग मे मै ही जली
अग्निपरीक्षा अस्मत की,हर काल मे मेरी होती रही
कहते हो स्वयं को' सर्वश्रेष्ठ'
नारी को 'अबला' नाम दिया
उसके प्रेम,समर्पण को,अपना अधिकार समझते हो
अस्तित्व नही समझा उसका
ईश्वर का इच्छित फल समझा
सदियोंं का शोषण खतम हो रहा
क्यों तुमको स्वीकार नही?
क्यों बराबरी से डरते हो
क्या खुद पे तुम्हे विश्वास नही?
गूंगी गुड़िया अब बोल रही
क्यों शब्द तुम्हारे खत्म हुए?
तैंतीस फीसदी नारी को,पद देने मे हिचकते हो
आधा अधिकार वो मांग न ले
कानून बदलते फिरते हो
नारी की लगन और मेहनत से
पुरुषों! इतना क्यों डरते हो?
नारी पा जाये ऊंचा पद,चरित्र टटोलने लगते हो
निन्दा का अवसर हाथ लगे,हर समय घात मे रहते हो
नारी जिस सीढ़ी पर चढती है,उसे धीरे-धीरे हिलाते हो
तुमसे आगे वह जा न सके,राहों मे कांटे बिछाते हो
नारी जब दौड़ लगाती है,पुरुषोंं तुम क्यों थक जाते हो
पत्नी,मां,बेटी कहते हो,अधिकार नही पर देते हो
नारी शक्ति पर भाषण दे,तुम नारी को ही ठगते हो
पत्थर की नारी देवी है,कहकर शीश झुकाते हो
हाड़-मांस की नारी से,पूजा खुद की करवाते हो
युग बदला है,तुम भी बदलो,अस्तित्व को अब स्वीकार करो
तानो,अपमानों से इसको कमज़ोर बताना बन्द करो
शिक्षा,रक्षा और अन्तरिक्ष मे,इसने बाजी मारी है
बुध्दि,बल,सहनशीलता मे पुरुषों! तुम पर यह भारी है
अपने से कम इसे मत आंको,पंखों को इसके मत काटो
देवी का दर्जा नही इसे,बस' नारी'ही बन जाने दो
देकर अधिकार सभी इसके,इसेआगे कदम बढाने दो
लोकतंत्र के आंगन मे,नारी को दौड़ लगाने दो
सड़क से लेकर संसद तक,अवरोध बिना उसे जाने दो
राज-काज मे नारी भी,सहभाग बने पुरषों की तरह
आधी आबादी है नारी,आधी संसद मे आने दो